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Channel: अनुशील
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वे हृदय की निधि हैं

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पराश्रित होना ही
दुःख है 


कि
खुशियाँ
पराश्रित नहीं होतीं

वे हृदय की निधि हैं
वहीं सन्निहित भी 

बाहरी किसी अवलंब पर
टिका नहीं
ख़ुशी का तारतम्य जो मन से हो
फिर कारवाँ कहीं रुका नहीं 


वगरना
जीवन बीत जाता है
दुःख जीत जाता है 


ख़ुशियों से हम
और हमसे ख़ुशियाँ 

अछूती रह जातीं है 


कि
वे स्वभावतः
अनचिन्हे कोणों से प्रकाश-सम आती हैं 


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