टूट-फूट का भी अपना सौंदर्य है
अवशेष अपने आप में काव्य है
जिन्हें ज़िंदगी ने ख़ूब तोड़ा है क़दम-क़दम पर
वे बेहतर समझते है जीवन का मर्म
ऐसे ही लोगों का एक छोटा सा कुनबा होता है
जो लोगों की राह के काँटें चुनता है
औरों का मार्ग प्रशस्त हो
इस हेतु श्रम करता है
कि
वह जानता है टूटन का दुःख
और यह दुःख अगर जीवन से विमुख न कर दे
तो यही पीड़ा बनती है वो संजीवनी
जो किसी को अनुकरणीय बनाती है
अविस्मरणीय बनाती है
टूटन
कड़वाहटें न भरे मन में
ये भी सहज संभाव्य है
जीवन हर हाल अपने आप में काव्य है!