$ 0 0 टिमटिमाती रौशनीगुजरता हुआ सुख हैफैला अंधकारठहरा हुआ दुःख हैइस अंधकार मेंदीप जलाने कोमाचिस की तीली टटोलता मनआस-विश्वास की ओर उन्मुख हैठहरे हुए पानी मेंकंकड़ फेंकजैसे हलचल कर जाते हैं अनजाने ही अबोध बच्चे वैसे ही ठहरे हुए दुःख मेंखलल-सा पैदा करने को मचल जाता है दीप जलाने को उद्धत अबोध मन नहीं जानता मन किहर हलचलहर खलल के बाद फिर वही ठहराव होगा पानी की सतह परवैसे ही जैसे दुःख ठहर जाएगा फिर फिर बातियाँ जलेंगीहोते-होते मलीन होगी रोशनीदीप बुझ बुझ जाएँगे दुःख का अंधकार ठहरा ही रहेगा!