$ 0 0 अटक जाती है साँस कभीकभी जीवन भी अटक जाता हैअटकी हुई बात कोईघुटन हो कंठ में ही नहीं रोम-रोम जब रुदन हो ऐसे मेंबस बेवजह कहीं भटक पाने कीसहूलियत दे ज़िन्दगी और इस बेवजह मेंकोई वजह निकल आएयात्रारत चेतना की आँखें सजल हो जाए फिरऔर क्या चाहिए ही ज़िन्दगी से!सफ़र होलौट आने को डगर हो यूँ हो जीवनयूँ ही जीवन हो!