सत्य संधान / सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S.N.Pandeyशैतानों की इस नगरी में इंसान खोजते हो?मरू भूमि में बागों का उन्वान खोजते हो?जहाँ केवल पेट की ही चिंता सर्वोपर्री हो,वहाँ चिंतन महान खोजते हो ??हे सत्य!भूलो मत,भीड़ में खोना आसान है...पर...
View Articleकि यादों के मौसम रोज़ नहीं आते... !!
वो छुट्टियों का मौसम था कोई... कोई ९३ या ९४ की बात है... हम चारों भाई बहन और पापा मिल कर कुछ समय साथ बीता रहे थे... खेल कूद का ही माहौल था और फिर उसी दौरान कुछ कवितायेँ जोड़ी थीं हमने... आज इन यादों को...
View Articleकुछ टुकड़े अन्यान्य पड़ावों से...
पिछली सदी की एक नाव को देखते हुए...--------------------------------------------------बीती सदी लहरों पर खूब झूमी होगीकितने कितने सागर घूमी होगीआज बस विश्रामरत है...गति विराम सब चक्रवत है... !!*** ***...
View Articleशुभ जन्मदिवस, अमित जी!!
[ छोटी बहन और दामाद जी !! अमित अनामिका ] जोड़ियाँउपरवाला तय करता है...सुना है उसने हम सबको जोड़ियों में बनाया है...हर एक हृदय के लिए कही एक धड़कता हुआ दिल है...हर एक पंछी का एक साथी पखेरू है... दिए के...
View Articleजी! ना! कैसा हो? / डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय
आज प्रस्तुत है २००५ की लिखी हुई पापा की एक कविता...---------------------------------------------------------------------------------जी --का मतलब जी हां!सकारात्मक ।ना --का मतलब नकारात्मकध्यान रहे--जी...
View Articleशुभ संध्या ! जय भास्करः !! २
पापा से बातचीत का एक अंश ----------------------------------------वेद और हम हमारी प्राचीन परम्परा और मान्यता यही थी --"निष्कारणं ब्राह्मणेण षड्गों वेदोधेयोगेयश्च" अर्थात यह कि वेदाध्ययन से अर्थ की, यश...
View Articleसंजीवनी / सत्यनारायण पाण्डेय
पापा की एक और कविता, या यूं कह लें कविता जैसा ही कुछ... शीर्षक कुछ और लिखा था उन्होंने मैंने बदल कर संजीवनी कर दिया कि मेरे लिए तो ये बातें संजीवनी ही...
View Articleसंघर्ष :: कुछ भाव दशाएं / डॉ. सत्य नारायण पाण्डेय
इन टुकड़ों का रचनाकाल याद आता है... रोज़ आदमी कैसे अपने कार्यक्षेत्र में रोज़मर्रा की दुनिया में उलझता सुलझता हुआ जीता है इसी की एक सहज सी झांकी प्रस्तुत करती सी भाव दशाएं हैं... वैसे तो बहुत व्यक्तिगत...
View Articleप्रकृति-प्रकोप / डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय
कभी सुनामी लहर,कभी प्रचण्ड भूकंप की कहर...कर देते है,मानव की ज़िन्दगी तबाहपरिवार के परिवार बिखर जाते हैंबच्चे अनाथ,स्त्रियां बेवापुरूष भी विधुर-बेहाल हो जाते हैं।सरकारें,स्वयंसेवी संस्थाएं,ऐसी विपदा में...
View Articleस्विट्ज़रलैंड यात्रा: कुछ टुकड़े डायरी से
रेलधीरे धीरेबढती है गंतव्य की ओर... कितने ही दृश्ययादों में संजोने...यादें,जिनका होना है,न कोई ओर न छोर...बस भागते हुए ही बीतनी है रातेंभागते हुए ही होती है भोर...कभी तो ठहर, ज़िन्दगी!किसी ठौर...***हर...
View Articleहँसी की महिमा :: डॉ सत्यनारायण पाण्डेय
काम के बोझ ने,हँसना भूला दिया है हम खुलकर हँस भी सकें,वैसी जगह कहां है? हां,है ऐसी ही बात,अब तो हँसी भी रूठ गई है ---इसी लिए तोजिंदगी बोझ बन रही है अरे भाई!अब भी सचेत हो जाओअसमय मौत को तो न...
View Articleकाठ की बांसुरी से...
काठ की बनी बांसुरीकिस युक्ति से धुन बन जाती हैसुनना कभी गौर सेज़िन्दगी भी ऐसे ही पल पल सरगम गाती हैशोर में गुम गया है आत्मा का संगीतजाने क्या होती है वो शय जिसे कहते हैं प्रीत... !! काठ की बांसुरी...
View Articleसारा दोष मेरा है...
हमने देख लिया अपना होना...हमने ये दुनिया भी देख ली... हर जुड़ने वाला उतना ही खरा है...फिर मन मेरा क्यूँ आखिर इतना भरा भरा है... सारा दोष मेरा है...जुड़ने जाते हैं... बार बार ठोकर खा कर भीइस दुनिया की...
View Articleहर व्यक्ति होता है, अपने आप मे पूर्ण :: सत्य नारायण पाण्डेय
ईश्वर देते हैं,सबको सहज व्यक्तित्व...हर कोईअपनी सहज अभिव्यक्ति दे --तो अच्छा है.प्रतिभा प्रदर्शन के नाम पर,स्वभाव का त्याग प्रयत्न पूर्वक,दूसरे की तरह बनने का हठ अनुराग सम्भव है हमे पंगु बना...
View Articleसुप्रभातं! जय भास्कर:! १३
नाम में क्या रखा है... कि नाम में ही सब रखा है, ऐसी ही कुछ जिज्ञासा पर जरा सी बातचीत का एक अंश *** *** ***सिर्फ और सिर्फ अपना ही भला चाहने वाले को, सुयोधन, "सुयशः धनं यस्य -स सुयोधनः", किंतु नाम के...
View Articleकल किसने देखा है... टुमारो नेवर कम्स :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S.N.Pandeyछोड़ो कल की बातेंकल किसने देखा? मानाबीता कल भीकल है! आने वाला कल भीकल है! पर हम क्यों न करें,आज की बात ।वर्तमान में ही जीना सीखें।बीता तो कल भूतकाल, बन जाता है आने वाला कल "भविष्यत्...
View Articleमनःशान्ति के लिए :: डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय
लें संकल्प ::मै क्रोध नहीं करूंगा । चिन्ता न पास फटक पायेऐसा यत्न करूंगा । अपना दैनंदिन कार्य-आलस्यरहित हो करूंगा । किसीपर निर्भरता से दूर-सम्भव हुआ तो --दूसरे की-सहायता ही करूंगा । हो सभी जीवों से...
View Articleआखिर अब हम कब बदलेंगे? :: डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय
दूध और दही की नदियाँ,बहाने का नारा ----बाद में देना!कम से कम प्यासों को,शुद्ध पानी तो पिलाओ!सर्वं कर्तुं समर्थः -सर्वकारः (सरकार) पद सेबना है।फिरसरकार (सर्वकारः) के होने पर भी -----गरीब मजदूर,बेहाल...
View Articleवहीं तट पर खेलती हुई मिलेगी !!
कभी कभी क्या होता है...सकल विपत्तियाँ एक साथ आती हैं...समय कि ऐसी धाक है किउसके एक इशारे पर मेरा कितने ही जतन से बनायारेत का महलढह जाता है...समुद्री लहरें सब बहा ले जाती हैं...एक कतरा भी आस विश्वास का...
View Articleगति ही जीवन है...
सच है,गति ही जीवन है...ये और बात है, किजीवन मेंहर क्षणटूटता एक कहर रहा है... !कहीं कोई पलसदियों के फासले मिटा देता है...वरनासुधा की आस मेंहर कोई यहाँपीता जहर रहा है... !कितने जीवनबस झूठी शान में निमग्न...
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