नाम में क्या रखा है... कि नाम में ही सब रखा है, ऐसी ही कुछ जिज्ञासा पर जरा सी बातचीत का एक अंश
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सिर्फ और सिर्फ अपना ही भला चाहने वाले को, सुयोधन, "सुयशः धनं यस्य -स सुयोधनः", किंतु नाम के विपरीत आचरण के कारण "दुर्योधन"नाम से वह प्रसिद्ध हुआ ।
अपनों का भला चाहने वाले को "अर्जुन"क्योंकि धर्मयुद्ध यानि धर्म की स्थापना के लिए युद्ध की प्रेरणा (भगवान कृष्ण के द्वारा) दिए जाने पर दोनो सेनाओं के बीच स्थित अर्जुन ने भगवान् श्रीकृष्ण से कहा था "स्वजनं हि कथं हत्वा सुखिनः स्याम् माधव!"सम्पूर्ण सृष्टि की भलाई चाहने वाले को भगवान कृष्ण कहते हैं--
"धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे"
अब हम स्वयं आत्मावलोकन करें, अभी हम क्या हैं और हमे बनना क्या चाहिए ।