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कल किसने देखा है... टुमारो नेवर कम्स :: सत्यनारायण पाण्डेय

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Dr. S.N.Pandey


छोड़ो कल की बातें
कल किसने देखा? 


माना
बीता कल भी
कल है! 



आने वाला कल भी
कल है! 



पर हम क्यों न करें,
आज की बात ।

वर्तमान में ही जीना सीखें।


बीता तो कल भूतकाल, बन जाता है 

आने वाला कल "भविष्यत् "कहलाता है ।


आज
यानी "वर्तमान"मे हम ---
जीना सीख लें ---
तो कल का झंझट खत्म हो जाएगा । 


न बीता कल डरायेगा,
न आने वाले कल की चिंता ----
सतायेगी ।


बीता कल "भूतकाल"
आनेवाला कल "भविष्यत काल"है
जो साथ है,
वही है --"वर्तमान",
सहृदय सुन्दर काल!


"वर्तयति इति वर्तमानः"होवें यदि हम सब,
इसी में क्रियमान
हो पूरी ईमानदारी,
सजगता,
औ'कर्म के प्रति सम्मान


बीते कल से
लेकर शिक्षा --
वर्तमान का करें सदुपयोग 


न भूत (भूतकाल) का
भूत (भय) सतायेगा !


आज की सजगता---
भविष्य की नींव सुदृढ़ करेगी 



चिन्ता होगी काफूर ।
मन होगा शान्त ।
हृदय को शुकून मिलेगा । 


आज के कृत्य, आज ही निपटायेंगे
मन नहीं भटकेगा । 


कार्य की पूर्णता मे ही रमेगा । 


बढेगा कर्म-कौशल,
गुणवत्ता बढ़ेगी ।


जीने का अन्दाज़ मिल जाएगा ।


जीवन आदर्श बन जायेगा...
जीवन आदर्श बन जायेगा !!


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