$ 0 0 काम के बोझ ने,हँसना भूला दिया है हम खुलकर हँस भी सकें,वैसी जगह कहां है? हां,है ऐसी ही बात,अब तो हँसी भी रूठ गई है ---इसी लिए तोजिंदगी बोझ बन रही है अरे भाई!अब भी सचेत हो जाओअसमय मौत को तो न बुलाओहँसोछोटी छोटी बातों पर भी,मत खोजो हास्य के लिए बड़ा जलसाया जलवा...अगर यही हाल रहा तो,मनुष्य बन कर रह जायेगा मलबा !हंसीगाहे-बेगाहे,अवश्य आनी चाहिए --कोई पास न भी हो तो, यह नुक्सा अपनाईये...ऐसी व्यवस्था की ही जानी चाहिए... !याद करेंकभी तो आयी होगी हँसी खुलकरकरें उन्ही पलों की याद चुन चुन करअरे भाई! जितना अच्छा होता है हँसना,उससे भी कहीं अच्छा है - दूसरों को हँसानाकरें सायास प्रयास ---जो भी आये पास वह भी हँसता हुआ जाए... क्यों? हम मनहूस बन बैठें कि दूसरे की हँसी भी छिन जाए... !यह हम सब जान लें हँसने और हँसाने से अच्छा---कोई काम नहीं, तनाव से मुक्ति का उपाय भी तो यही है.तनावशरीर को झकझोर देता है, खुलकर हँसना भी --शरीर को झकझोरता ही है, पर है दोनों में कितना अन्तर! तनाव की झकझोर शरीर को तोड़ देती हैहँसी भी झकझोरती है, पर कर तरोताजा मन-मस्तिष्क को ----नई उर्जा भर देती हैजीवन को एक सहज सुन्दर मोड़ देती है... !!