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Channel: अनुशील
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कुछ टुकड़े अन्यान्य पड़ावों से...

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पिछली सदी की एक नाव को देखते हुए...
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बीती सदी लहरों पर खूब झूमी होगी
कितने कितने सागर घूमी होगी


आज बस विश्रामरत है...
गति विराम सब चक्रवत है... !!


*** *** ***
दिसंबर की एक बर्फ़ीली शाम
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जाने कितना सफ़र शेष है,
अभी कितने मोड़ आने बाक़ी हैं...


वीरान भी है, सर्द भी,
रास्ते की ये तो छोटी सी झांकी है...


*** *** ***
एक झरना आसपास
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झरने से झरते जल में, 

बह गए कितने ही पल...
उस शाम ने महसूसा था, 

कुछ दुखों के नहीं होते कोई हल...


फिर भी 

ज़िन्दगी चहकती है...
यादों की कोई ज़मीन 

हर क्षण कहीं दरकती है... !!


*** *** ***
जीवन, यात्रा और हम
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यात्रा में कितने पड़ाव आते हैं...


कभी कभी
बीत जाने के बहुत बाद


कोई  एक  याद...
कोई एक तस्वीर...

मुस्कान टांक जाती है...

कुछ यात्राएं अपने ख़त्म होने के बाद शुरू होती हैं... !!


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