हमारा तुम्हारा एक ही आकाश है !
दूरी और सामीप्य के मध्यकहीं एक अदृश्य क्षितिज है...वहाँ कहने सुनने से परेमौन गुनगुनाता है...एक अदृश्य डोर बाँधती हैकोई गहरा नाता झिलमिलाता है... बिना किसी संवाद केज्ञात हो जातीं हैं बातें...दुःख का...
View Articleगुम थे हम
गुम थे हमयूँ पाए गए...धूप अपनी न रहीछोड़ कर हमें, हमारे साए गए...चाँद इतना प्यारा है...किस्मत उसकी, कालिमा से घिरा है... ज़िन्दगी! तेरी परिधि मेंउलझा हुआ हर सिरा है...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः।
पापा से बातचीत :: कुछ अंश डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय कुछ भी करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के लिए सर्व प्रथम आत्मविश्वास जरूरी है, चाहे वह कार्य स्वयं के लिए हो, समाज के लिए हो, राज्य के लिए हो, देश के...
View Articleरचनाधर्मिता / सत्य नारायण पाण्डेय
रचनावह भीकविता की जोड़-तोड़ से कहाँ संभव ?यह तो दैवीय प्रेरणा हैसृष्टि का यही भेद अभेद्य है और यह...
View Articleईला, तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हारे लिए...
गायत्री वल्लभ ,ईलागुड़िया रानी...ये हमारे यहां पहला जन्मदिन है न तुम्हारा !पहली खुशियां अनमोल होती हैं'पहला'--इस शब्द से जुड़ा होता हैकितना कुछ अमूल्य जीया हुआजैसे पहली खुशीजो मात-पिता ने तुम्हे पहली...
View Articleहे ईश्वर !!
असीम है वो आकाश...अथाह है सागर... अनगिन विश्रामरत रहस्य सी,दृश्यमान हैं नौकाएं...।_____अथाह को जानना हो, तो स्वयं अथाह होना होगा...असीम की थाह पाने कोवैसा ही असीम होना होता है...जान तो नहीं ही सकते...
View Articleख्वाहिशें... !!
कोई एक होजो मेरी ख़ामोशी सुन ले...अब मन हर एक शब्द अक्षरसब खोना चाहता है... !थक गया हैचल चल कर... मिले कोई स्नेहपूर्ण गोदअब मन कुछ देरसोना चाहता है... !सब धुल जायेधुल धक्कड़...मेरा मनतुम्हारे हृदय से लग...
View Articleबियाबान जंगल...
जिसकीखो गयी हो चाभी,वो ताले रो गए...रिश्तों केबियाबान जंगल मेंचलते चलते,पाँव में ही नहीं,मन में भी छाले हो गए... !!
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः। २
भारत गौरव पुरस्कार से सम्मानितडॉ सत्यनारायणपापा से बातचीत :: कुछ अंशसुप्रभातः सर्वेषाम्! मंगलकामनासहितम्! भगवान श्री कृष्ण ने भगवद्गीता के सत्रहवें अध्याय के श्लोक संख्या चौदह, पन्द्रह, सोलह में...
View Articleजुदा-जुदा किनारे...
किनारों कोजोड़ रहे पुल कीविरल गरिमा...आती जाती धारादेख रही थीयह महिमा...दो किनारों को,जोड़ देता है,एक पुल का विश्वास...गाती है यह महिमा फिर,हर आती जाती,श्वास...एक पुल के विश्वास पर,हैं जुड़े हुएदो...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः। ३
पापा से बातचीत :: कुछ अंश"क्षमा"यह एक प्रसिद्ध शब्द है। क्षमाशील होना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण माना जाता है, पर शर्त यह कि उसे शक्तिशाली भी होना चाहिए, क्योंकि शक्तिविहीन के द्वारा क्षमा किया जाना...
View Articleपापा से बातचीत :: एक अंश ४
श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य में सात श्लोक हैं। चौथा श्लोक यह है :-- गीता सुगीता कर्तव्या, किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः। या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिः सृता।।गीता सुगीता कर्तव्या = गीता को सुगीता बनाना...
View Articleकि "जीवन"जीवन ही नहीं था... !
सबसे ज्यादा हताश थी जब...दुनिया में कहीं कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था तब.खुद से ही बेइंतहा नाराज़गी थीउस क्षण-जीवन से अधिक त्याज्यजैसे कुछ भी और नहीं था...कि "जीवन"जीवन ही नहीं था... !इतने अँधेरे कभी नहीं...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः। ५
पापा से प्रातःकालीन बातचीत :: एक अंश-----------------------------------------------------सुप्रभातम् सर्वेषाम्! मंगलकामनासहितम्! जयतु भास्करः! आज की बहुत सारी समस्याएं समस्या न होकर भी घोर संकट का कारण...
View Articleसुप्रभातं! जय भास्कर:! ६
पापा से बातचीत :: एक अंश---------------------------------------------सुप्रभातम्! मंगलकामनासहितम् सर्वेषां कृते!नमस्कारशच!मनुष्य चाहे तो अभ्यासपूर्वक भगवत्ता (भगवान की तरह सत्ता ) का अधिकारी हो सकता है।...
View Articleधूप में उदासी !
धूप से भी चोट लगती है...कि आँखों में समा जाये तोअँधेरा सा छा जाता है!धूप,छाँव कीयाद दिलाती है...धूप जो इतनी तेज़ होतो हम छाँव के आदी लोगों कोज़रा ज्यादा ही रुलाती हैं.आँखों पर हथेलियाँ रख लींधूप से...
View Articleराहें बुलाती हैं...
राहें बुलाती हैं...सड़कें आवाज़ देती हैं...कि... सफ़र हैतो ही हैं कवितायेँ...कच्ची-पक्की, वीरान-अनजान सड़कों पर चले बिनाशब्द यात्रा संभव भी कहाँ है... !बिना टूटे, बिना बिखरे, बिना चोट खाएकैसे पता चलेगा...
View Articleशब्द कम रहें... न रहें...
जीवन...बहुत बड़ा बवंडर है...एक सिरा हाथ आयेदूसरा छूट जाता है...इस भीड़ में कहीं कोई नहीं भीड़, भीड़ ही है बस इसकान कोई चेहरान कोई पहचान...न ही कोई उद्देश्य ही होता है...भीड़, भीड़ ही होती है बस... !ऐसे...
View Articleसिक्के के दो पहलू...
साधु और शैतानमहज सिक्के के दो पहलू हैं,पलक झपकते ही बदल जाता है दृश्यभरम पाले हमअपनी राह निकल जाते हैं।अपेक्षित है :हर एक दोष दंश से ऊपर उठ करहमें अपनाया जाए...कि इंसान हैं हममाटी के पुतलों की क्या...
View Articleसुप्रभातं! जय भास्कर:! ७
पापा से बातचित :: एक अंश --------------------------------------------------------सुप्रभातःसर्वेषां कृते! नमस्कारश्च! मंगलकामनासहितमपि। जय भास्करः!गीता के अठारहवें अध्याय के दसवें श्लोक में कर्म या...
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