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Channel: अनुशील
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ख्वाहिशें... !!

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कोई एक हो
जो मेरी ख़ामोशी सुन ले...

अब मन
हर एक शब्द अक्षर
सब खोना चाहता है... !


थक गया है
चल चल कर... 


मिले कोई स्नेहपूर्ण गोद
अब मन कुछ देर
सोना चाहता है... !


सब धुल जाये
धुल धक्कड़...


मेरा मन
तुम्हारे हृदय से लग कर
रोना चाहता है... !


रेत ही रेत है
मेरी आँखों के सामने...


जाने फिर भी
कैसे तो हौसला कर
उम्मीदें बोना चाहता है... !!



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