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Channel: अनुशील
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हे ईश्वर !!

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असीम है वो आकाश...
अथाह है सागर... 


अनगिन विश्रामरत रहस्य सी,
दृश्यमान हैं नौकाएं...।
_____


अथाह को जानना हो, 

तो स्वयं अथाह होना होगा...


असीम की थाह पाने को

वैसा ही असीम होना होता है...


जान तो नहीं ही सकते थे

कि अभी कहां हममें वो प्रगल्भता!


तो बस बिना जाने

आंखो ने थाम लिया वो लम्हा 


और हम निकल पड़े उस यात्रा पर 

जहां हम हो सकें असीम...

अथाह...


कि अभी 

शेष है जानना उस विस्तार को 


और शेष है जानना तुम्हें भी,


हे ईश्वर !!


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