$ 0 0 असीम है वो आकाश...अथाह है सागर... अनगिन विश्रामरत रहस्य सी,दृश्यमान हैं नौकाएं...।_____अथाह को जानना हो, तो स्वयं अथाह होना होगा...असीम की थाह पाने कोवैसा ही असीम होना होता है...जान तो नहीं ही सकते थेकि अभी कहां हममें वो प्रगल्भता!तो बस बिना जानेआंखो ने थाम लिया वो लम्हा और हम निकल पड़े उस यात्रा पर जहां हम हो सकें असीम...अथाह...कि अभी शेष है जानना उस विस्तार को और शेष है जानना तुम्हें भी,हे ईश्वर !!