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गायत्री वल्लभ ,ईला |
गुड़िया रानी...
ये हमारे यहां पहला जन्मदिन है न तुम्हारा !
पहली खुशियां अनमोल होती हैं
'पहला'--
इस शब्द से जुड़ा होता है
कितना कुछ अमूल्य जीया हुआ
जैसे पहली खुशी
जो मात-पिता ने तुम्हे पहली बार चलते देख महसूसी होगी
पहली बार स्कूल यूनिफॉर्म पहनने का सुख याद होगा
शायद पहली बार स्कूल जाते हुए तुम रोयी होगी
गुणा भाग जोड़ घटाव
गिरना संभलना याद होगा
हमें आभास है ::
तुम्हारे घर में आज कितना सूनापन
तुम्हारे बाद होगा
पहली बार कुछ खोया होगा
वो गम भूली नहीं होगी
आज भी पा कर छोटे छोटे सुख
देखना, आंखों में आसुओं की लड़ी होगी !
पहले पहल की ये खुशियां
तुम आजीवन जीना
पल पल जीवन में जड़ती रहना
भाव-भाषा का अनमोल नगीना... !!
आज तुम्हारे साथ तुम्हारा हमसफ़र भी है
संग उसके मिलकर
खिलखिल फूलों सा मुस्काना...
इन अकिंचन शब्दों में ही
हमारी ओर से
जन्मदिन का कोटिशः आशीष पा जाना !!
[[ दीदी/जीजाजी ]]