$ 0 0 राहें बुलाती हैं...सड़कें आवाज़ देती हैं...कि... सफ़र हैतो ही हैं कवितायेँ...कच्ची-पक्की, वीरान-अनजान सड़कों पर चले बिनाशब्द यात्रा संभव भी कहाँ है... !बिना टूटे, बिना बिखरे, बिना चोट खाएकैसे पता चलेगा ज़िन्दगी का स्वाद...जो न होंगे आंसू तो कैसे होगा फिर दर्द का अनुवाद... !!इस लिए यात्राएं आवश्यक हैं...कई तरह कीकई कई तरह सेसड़क पर खाली पांव विचरते हुएकिनारों पर उग आई घास की नमी महसूसने की यात्रा...ओस से झांकते इन्द्रधनुषी रंगों कोमन में बसा लेने की यात्रा...सरपट दौड़ती राहों मेंअपने क़दमों के नीचे की ज़मीं कोमहसूसने की यात्रा...अपने ही अन्दर चल करअपने आप तक पहुँचने की यात्रा...कि यात्राएं आवश्यक हैंकई तरह कीकई कई तरह से !!