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Channel: अनुशील
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भावांजलि : सलाम, अपराजिता शर्मा

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जो एकाएक उठ कर चल देते हैं बस 

इस धराधाम से 
असमय 
वो कितना विराट शून्य छोड़ जाते हैं पीछे।


पर,

यह भी है 
कि हम कौन होते हैं ये कहने वाले 
कि वे असमय चले गए 


हो सकता है 
यही यथेष्ट समय हो
यही सबसे उचित मुहूर्त हो 
जिसमें 
आत्मा ने अपना प्रस्थान चुना हो 


कौन जाने !


हम जहाँ हैं वहीं से
उस आत्मा की आगे की यात्रा के लिए 
प्रार्थनारत हो लें 


जिस सकारात्मकता की वो प्रतीक थीं 
उसी सकारात्मक ऊर्जा के साथ 
उन्हें विदा किया जाए 


उनके साथी 
उनकी जननी 
उनका परिवार 
उनके अपने 
और हम सब उन्हें ख़ूब शुभकामनाओं के साथ विदा करें 
कि वह चैतन्य आत्मा अपनी आगे की यात्रा 
असीम शांति के साथ तय कर सके!


विजयदशमी के पावन दिवस 
सौभाग्यवती गयीं वे 
जैसे देवी ने नियत दिन चुना हो अपने प्रस्थान के लिए 


यह विदा 
भौतिक स्थूल शरीर का सत्य है मात्र 


आदि शक्ति कभी विदा होती नहीं 
वो तो बस 

उनकी प्रतिकृति 
उनकी प्रस्तर प्रतिमा 
विसर्जित की जाती है 


अपराजिता को तो संभाल कर रख लिया जाता है पूजा घर में 


शरीर की विदाई है यह 
आत्मा अजर अमर है 


वो कहीं नहीं गयी 
कहीं नहीं जाएगी !


-----------

अपराजिता जी, आपकी कला दुनिया रहते इस जगत का हिस्सा रहेगी और अलबेली दिग्दिगंत तक अमर।

सलाम आपकी यादों को।


प्रार्थनाएँ शोक संतप्त परिवार के लिए!






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