$ 0 0 तराशे जाने को प्रस्तुत होनानए आकारों मेंढ़ल पाने की सम्भावना की पुष्टि है पत्थर सहता है चोटतराशा जाता हैक्या से क्या बन जाता है. सुख-दुःख हथौड़ों से ही तो हैंचोट ही तो करते हैं एक जाकर दुखी करता हैएक का आना चोटिल करता है कभी कभी लगता है--सुख-दुःखदोनों ही अन्वेषक हैं हमारे भीतर का ईश-तत्व उजागर करने आते हैंतराश कर हमारी रुखड़ाहटों कोहमें समतल कर जाते हैं. सुख उदारता से प्रकट होहमें भी उदार बनाता हैदुःख अंतर्दृष्टि देउस उदारता को सींचता है किजुड़ सकेंसंवेदनाओं के सिरे किवृहद् वितान मेंद्वीपों से तितर-बितरदूर-दूर स्थित हम कहीं तो एक हो सकें संवेदन तरलताओं के बीचपरिस्थितिजन्य सकल कठोरताएँ खो सकें. द्वीपों को जोड़ देता हैजैसे बहती धारा का प्रवाह वैसे ही हमें होअणु-अणु में व्याप्तसुख-दुःख की थाह मेरे भीतर उगे उसकी भी आह!