$ 0 0 यात्रा के उस मोड़ परपंछी थे, पानी था, गहराई थीहम होकर भीकहीं नहीं थे,ये भी एक सच्चाई थी.दृश्य का होनाऔर हमारा खोनास्वतः घटित काव्यांश-सेकविता में उपस्थित थे अनुभूतियों मेंऐसे कितने ही अंशमोती सम जड़ित थे! दुःख-पीड़ा ही नहींसुख भी लुप्त था सुख दुःख के बीच कीकोई स्थिति थीमन इस संधिबेला मेंसकल उलझनों से मुक्त था कि हम कहीं थे ही नहींवहाँ मात्र हमारे होने की परछाईं थी यात्रा के उस मोड़ परपंछी थे, पानी था, गहराई थी.