$ 0 0 जो चिट्ठियाँलिखीं जानी चाहिए थींपर लिखी न गयीं जो शब्दकागज़ पर उतरने के बाद भीकभी अपने अभीष्ट तक न पहुँचे जिनकी यात्राशुरू होने से पहले हीरद्द हुई वोअधूरे वाक्यों के बीच पसरेरिक्त स्थानों का व्याकरणबन कर रह गए रुई के फ़ाहों-से बर्फ़ीले आसमानी संदेशों कोतकते हुएकितने जमे हुए बर्फ़-से शब्द पिघलेपानी हो कर बह गए ज़मीं पर बिछी उजली रेत मेंफिर हमनेकुछ अक्षर लिखे मिटाएकुछ वैसे हीजैसे हमारे हिस्से मुस्कान लिखफिर नियति उसे मिटा देती हैये बस इतना ही है-- बिछी हुई बर्फ़ परउँगलियों से कुछ लिख जानाफिर गिरती हुई बर्फ़ की बारिश मेंउसका ढक जानामिट जाना चिट्ठियों का न लिखा जानाऔर जो लिख भी गयीं तोउनका अपने पते पर न पहुँच पाना ये सारे लुके-छिपे दुःखबर्फ़ के फ़ाहों संग बरसते हैंऔर ढक लेते हैंपतझड़ में अनावृत हुए दुःख को न पहुँचने वाली चिट्ठियाँ भी फिरजाने कैसे तोगंतव्य तक की राह परनिकल पड़ती हैंरिक्त स्थानों काउलझा सा व्याकरणफिर संभावनाओं का आयाम हो जाता है सुख-दुःखआपस में अनौपचारिक सी कोई संधि कर लेते हैं बर्फ़ की बारिश थम जाती है.