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Channel: अनुशील
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तक जाकर कहीं रोना होता है... !!

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आंसुओं से
दुःख धुल जाते हैं...


जब दुःख पहाड़ से हों
आँखें पथरा जाती हैं...


आंसू तब बहुत बौना होता है...


पैठ जाता है जब भीतर तक दुःख,
तक जाकर कहीं रोना होता है... !!


हमने बहुत देर तक
आँखों में एक आंसू के आमद का
इंतज़ार किया...
 

नहीं भीगी आँखें
कि मन पथराया हुआ था !!


भजन की गूँज ने फिर
जाने क्या खोला भीतर 


जैसे बादलों की बोरी के मुख की
गाँठ ग़ ल ती से खुल गयी हो...


विधाता के प्रति
असीम कृतज्ञता से भरा
शरणागत मन रो पड़ा... !!


आसमान!
बरसते हुए तुम अच्छे लगते हो...
लेकिन ज़रा थम कर बरसो 


प्रार्थनायें सुना करो
हाथ जोड़े घुटनों के बल बैठे अब तो हुए हमें वर्षों !!


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