यूँ
किसी का नहीं रहना
विश्वासयोग्य नहीं लगता...
आज सांस लेते हुए
क्या यकीन कर सकते हैं हम
कि एक दिन
हम भी नहीं रहेंगे...
जीवन
इतना बड़ा रहस्य है...
पर्दा ही नहीं उठता.
माया मोह से दामन जिस दिन छूटता है...
उस दिन और भी बड़े रहस्य की चादर
ढांप लेती है हमें.
अश्रुपूरित नयन
बस चुपचाप रह जाते हैं...
जीवन मृत्यु के रहस्य की खनक
जाने क्या कहती है ?!
क्यूँ ये त्रासदी है
कि एक दिन
हम बस
स्मृति शेष रह जाते हैं... ?!!