सा ग र--
सा र है...
ग गन है...
र वानगी है...
जीवन की सबसे अनूठी बानगी है...
कि वो विशाल है, अथाह है, अपार है...
उसके हिस्से हर एक नदी का प्यार है...
---
न दी--
न श्वर है
दी दार को प्यासे उसके नयन हैं...
सागर तक की यात्रा उसके लिए एक कठिन चयन है...
कि ठोकरों से भरी उसकी धार है...
वो धीरे धीरे अपनी मंजिल तय का सफ़र तय करती हुई विशुद्ध रफ़्तार है...
---
बस इतना ही रिश्ता...
बस यही एक रिश्ता है...
जिसने धरा की समस्त तरलता थामे रखी है... !!