Quantcast
Channel: अनुशील
Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

किसी और जैसा होने का व्यतिक्रम ही भ्रम है... / डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय

$
0
0


श्रमरत चींटी,
फुदकती गौरैया...
जाल बुनती मकड़ी,
यहाँ वहां उड़ानरत तितली...


ईश्वर की
अनन्त रचना के
ये कुछ एक विम्ब 


देते हैं
सर्वसाधारण को संदेश...


कि
ईश्वर की कोई रचना
निरूद्देश्य नहीं हैं !


सबके सब महत्वपूर्ण हैं,
सब की कार्यविविधता,
जटिलता का एक दूसरे को एहसास
भले करा रही होती हैं...


पर
हर कोई
अपने स्वभाव के कारण
अपने जटिल कार्य मे व्यस्त रहकर भी
आनन्द का अनुभव ही कर रहा होता है... 


और
जिसका मन भटक जाता है,
वे ही
सुनने सुनाने के चक्कर में पड़
अपने कार्य की गति
धीमी कर लेते हैं... 


अतः
यही श्रेयष्कर है--
अपने आप में
संतुष्ट रहें, 


सभी अपने आप में
महत्त्वपूर्ण हैं-- 


सब अपने आप में विशिष्ट
अपने तरह के केवल एक अकेले जीव हैं  


किसी और जैसा होने का व्यतिक्रम ही भ्रम है...


खुद सा होना ही असल परिश्रम है !!


Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>