$ 0 0 श्रमरत चींटी,फुदकती गौरैया...जाल बुनती मकड़ी,यहाँ वहां उड़ानरत तितली...ईश्वर कीअनन्त रचना केये कुछ एक विम्ब देते हैंसर्वसाधारण को संदेश...किईश्वर की कोई रचनानिरूद्देश्य नहीं हैं !सबके सब महत्वपूर्ण हैं,सब की कार्यविविधता,जटिलता का एक दूसरे को एहसासभले करा रही होती हैं...परहर कोईअपने स्वभाव के कारणअपने जटिल कार्य मे व्यस्त रहकर भीआनन्द का अनुभव ही कर रहा होता है... औरजिसका मन भटक जाता है,वे हीसुनने सुनाने के चक्कर में पड़अपने कार्य की गतिधीमी कर लेते हैं... अतःयही श्रेयष्कर है--अपने आप मेंसंतुष्ट रहें, सभी अपने आप मेंमहत्त्वपूर्ण हैं-- सब अपने आप में विशिष्टअपने तरह के केवल एक अकेले जीव हैं किसी और जैसा होने का व्यतिक्रम ही भ्रम है...खुद सा होना ही असल परिश्रम है !!