आँखों से ढ़लका
गालों तक आते आते
सूख गया...
आँसू भी थका थका सा था
बीच राह ही
रुक गया...
मन उदास हो तो
अब मैं बस
इंतज़ार करती हूँ,
समय ही है बीत जाएगा
घबड़ाना मेरा अब
रुक गया...
वक़्त
करवटें लेता है
सब बदल जाता है,
चमक रहा था
चाँद गगन में
सुबह जाने कहाँ छुप गया...
पल पल की
मानसिक उठा पटक का निचोड़
कागज़ पर दर्ज़ कर,
स्याही का
भींगा अंतर्मन
एकदम से सूख गया...
आँसू भी थका थका सा था
बीच राह ही
रुक गया...!