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चन्दनवन की भिलनी :: सत्यनारायण पाण्डेय

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Dr. S. N. Pandey


आदत बिगड़ गयी है-
सर्वत्र आदर पा कर,


अब क्या करूं ??
इस वृहद परिवार में आकर...
इस कपटी संसार को पाकर...


जहां सत्य और सदाचार--
सब हैं बेकार,


चन्द सिक्कों-
के लिए जहां--
बेच दिए जाते हैं -
धर्म, इमान, सामाजिकता, सद्भाव औ'सरोकार। 


माना !
सरलता
और कभी-कभी
अतिपरिचय भी-


व्यक्तियों के प्रति लाता है--
अरूचि
अनादर भाव-


अक्सर लोग
उस सरल व्यक्तित्व का
अनादर कर ही-
सुख पाते हैं


है ठीक ही कहावत--
चन्दनवन की भिलनी
चन्दन को बनाती ईंधन!


वह उसके महत्व को क्या जाने--


यह चन्दन ज्ञानियों के ललाटपर--
होता तिलक, भाल का शोभन!


है कीमती सुगंधियुक्त वन्दन
पर जंगल की भीलनी के लिए-
मात्र ईंधन! मात्र ईंधन! मात्र ईंधन!




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