कोई एक हो
जो मेरी ख़ामोशी सुन ले...
अब मन
हर एक शब्द अक्षर
सब खोना चाहता है...
थक गया है
चल चल कर...
मिले कोई स्नेहपूर्ण गोद
अब मन कुछ देर
सोना चाहता है...
सब धुल जाये
धूल-धक्कड़...
मेरा मन
तुम्हारे हृदय से लग कर
रोना चाहता है...
रेत ही रेत है
मेरी आँखों के सामने...
जाने फिर भी
कैसे तो हौसला कर
उम्मीदें बोना चाहता है...
सुनो!
तुम्हारा होना संबल है...
संभावनाओं के चित्र तराशते हुए तुम
कितना कुछ रच गए
कोरे कैनवास पर
मन मेरा अदृश्य कितने ही विम्बों को थाहता है...
सदियों से साथ है...
सदियों तक तुम्हारे साथ रहना चाहता है... !!