$ 0 0 पहले कदम परआप नहीं थाह सकतेउस कदम के मायने... चलना लड़खड़ाते हुए ही शुरू होता है! कभी कभी वही लड़खड़ाता हुआ क्षणएक दिन ऐतिहासिक हो जाता है...महत्त्व की उन ऊचाईयों पर आसीन...कि...जिसकी कभीकल्पना न की गयी होगी... !!अब ५ जुलाई की तारीख कुछ ऐसी ही तो है.कविता कोशकी नींव रखते हुएकहाँ आपनेउन दिनों सोचा होगा...किएक दिनएक सहज सरल सा यह कदम कितनों के लिएप्रेरणा, संबल और विश्वास होगा !!आज कहती है चेतना-देखना...आने वाले युग में कविता कोश कास्वयंसेवा के क्षेत्र में अपने ढंग का अनूठा एक इतिहास होगा !!!एक बढ़ाता है कदमलोग साथ होते जाते हैं... पावन किसी ध्येय की खातिर कितने ही नींव के पत्थर मिट जाते हैं... कि...ईमारत बुलंद रहे जीवन तमाम विडम्बनाओं के बावजूद मकरंद रहे...शुभ अंक है ग्यारह...शुभता का पावन संकल्प आज और दृढ़ हो यह पावन भावना हमारी साझा क्षमताओं की रीढ़ हो !!*** *** ***स्थापना दिवस पर सभी स्वयंसेवकों को, कविताकोश को, कविता कोश के संस्थापक को ढ़ेरों बधाई एवं शुभकामनाएं... !!*** *** ***