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सुप्रभातं! जय भास्कर:! १२
अहम्मन्यता के ही कारण एक ही शहर या कस्बे में एक एक दो दो संगठन चल रहे हैं, या एक जनसमूह ही अहंता के कारण बंट जा रहे हैं। जब समाज के संगठन का उद्देश्य समाज के सर्वांगीण विकास का ही है, तो उद्देश्य की टकराहट तो कारण नही ही है, फिर अहं को छोड़कर "सबहिं मान-प्रद आप अमानी"के फार्मूले को जननायक क्यों नहीं अपनाते।
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