$ 0 0 पास होने का आभास मात्र है...पहाड़ से तब भी उतनी ही दूरी है...इतनी दिव्यऐसी विशाल है उनकी उपस्थिति...वहांअपनी क्षुद्रता महसूसने कीसम्भावना पूरी है !!दूर से चमकतेबर्फ़ के कणों की आभा कोआत्मसात करना होवहां उगेफूलों के एक पूरे जंगल के बीचचरण धरना होसब सहज हीस्वतः हो जाता है...वातावरण की महिमा हैउस ऊंचाई परआपका दुःख स्वमेव मुस्कुराता है... !!प्रकृति अपनी विशालता में स्निग्ध किरणें लिए चलती है...उसके हृदय में हमारे लिए हर क्षण अपार करुणा पलती है... ... !!