$ 0 0 समय की गति ऐसी है"बीता हुआ कल"सपना सा लगता है कभी ऐसे भी थे हम ?!साश्चर्य आँखें भर आती हैं... !! ---"आने वाले कल"मेंये "आज"भीआश्चर्य सा ही प्रतीत होगाकि तब अपना स्वरुपपूर्णतः परिवर्तित हो चुका होगा...जो आज से कहीं अधिक भिन्न होगा...और शायदबीते हुए कल के कहीं निकट... कि बुढ़ापा दूसरा बचपन ही तो होता है !!---हर पलबदल रहे हैं हमहर क्षणबीत रहे हैं हम जीयें इस पल मेंकि मुट्ठी से, रेत की तरह, एक रोज़ फिसल जाना है जीवन !!