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Channel: अनुशील
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ईला, तुम्हारे लिए !

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तुम नहीं जानती
कि तुम क्या हो हमारे लिए.


हमारी विवशता है
हमारे पास शब्द नहीं इतने समर्थ
जो व्यक्त कर सकें "तुम्हें".


तुम्हें कितनी ही मन्नतों से पाया है...


मुस्कान बन कर आई हो हमारी दुनिया में...
आँगन हमारा अपने भाग्य पर इतराया है... !


अपनी सौम्यता से जीत ले सबको
ये ईश्वरीय वरदान साथ है...


कि विधाता ने
हम बेटियों की किस्मत में
दो आँगन लिखे


तो, ये सामर्थ्य भी लिखा उसने
हमारे प्रारब्ध में


कि हम दोनों आँगन की आजीवन शोभा रह सकें


हँस सकें
रो सकें


जीवन में स्वयं "जीवन"का पर्याय हो सकें !!


तुम बिलकुल वैसी हो...
सच, परियों के देश से आई उजली किरण जैसी हो...


और क्या कहें...


शब्दों का उपहार है...
बहुत दूर बैठी दीदी के नम आँखों का प्यार है... !!



(भाई भाभी )




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