मिट्टी का जीवन...
मिट्टी के दीपक सा ही है...
गढ़ा जाता है जलने के लिए...
रौशनी बन कर आँखों में पलने के लिए...
तेज़ हवा के विरुद्ध
दीप का संघर्ष शाश्वत है...
मनुष्यता के समक्ष खड़ी पहाड़ सी मुश्किलें हैं
दृढ़ निश्चयी मन कहता है: "आओ बाधाओं तुम्हारा स्वागत है..."
कि हम आस-विश्वास के सदैव शरणागत हैं... !!
लें कितना इम्तहान लेंगी परिस्थितियां...
लौ जलती रहती है... जलती रहेगी...
सनातन है यह संघर्ष और अंततः लौ की जीत परंपरागत है... !!
सपनों के रंग
और रंगों का संचयन...
जीवन को हर हाल में श्रेष्ठ बनाता है...
इन्द्रधनुषी आकाश में एक संकल्पों का इन्द्रधनुष भी चमचमाता है...
उन्हीं दिव्य रंगों से चुन कर आशा
हम हर क्षण जीवन के शरणागत हैं...
भले ही अन्धकार छलने में कितना ही पारंगत है
दीप का हौसला साथ है...
हर निशा का निश्चित एक प्रात है... !!