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Channel: अनुशील
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अनकहा सा कुछ

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जो कहे जाने से रह गयीं
वे बातें अनमोल हैं   


अनकही रहीं
बचा रहा उनका आत्मिक स्पंदन 


उच्चरित होते ही शायद
गुम जाता अर्थ
कहीं कोलाहल में !


ठीक ही है
बहुत कुछ अनकहा रहना
आखर-आखर भावों को तहना 


कि किसी रोज़ मिलेंगे बिछड़े हुए रस्ते 

हो जायेगा सब अभिव्यक्त फिर आँखों के खारे जल में !

















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