$ 0 0 वही मूककभी वही वाचाल... मन हैपहाड़ों से उतरतीकिसी नदी की तरह... कहते कहतेगला रुंध गया...गुज़र रहे थेगुज़रते रहे लम्हेकिसी सदी की तरह...आँखों मेंसागर लिए...बहते रहे हमअन्यान्य पड़ावों से गुज़रतीकिसी नदी की तरह... ज़िन्दगी आद्यांत एक सफ़र है...हर क्षण खुद से ही एक जिरह... !!