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Channel: अनुशील
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नदी की तरह...

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वही मूक
कभी वही वाचाल...
मन है
पहाड़ों से उतरती
किसी नदी की तरह... 


कहते कहते
गला रुंध गया...
गुज़र रहे थे
गुज़रते रहे लम्हे
किसी सदी की तरह...


आँखों में
सागर लिए...
बहते रहे हम
अन्यान्य पड़ावों से गुज़रती
किसी नदी की तरह... 


ज़िन्दगी आद्यांत एक सफ़र है...
हर क्षण खुद से ही एक जिरह... !!






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