$ 0 0 खो जाना...चले जाना...ये अचानक नहीं होता...हर क्षण घटती रहती है ये जाने की प्रक्रिया तमाम उपस्थितियों के बीचअनुपस्थितियां अपने घटित होने हेतु पृष्ठभूमि रच रही होती हैं...और रचते बसते इन पृष्ठभूमियों में...एक दिन लुप्त हो जाते हैं हम...खो जाने काक्या फिरसालता होगा गम... ?या खुशियों का मंज़र होता होगाकि यहाँ से खो कर, इस जगह से गुम होकरकहीं पा लिए जाते होंगे हम... !!