नम आँखों में
सम्पूर्ण हृदय की पीड़ा है...
आंसुओं में समाया हुआ
एक अथाह समंदर है...
न थाह है...
न राह ही...
लहरें सदा से रही हैं बेपरवाह ही...
उनका दर्द
उठते-गिरते
समंदर में गुम हो जाता है...
एक लय में
पीड़ा रागिनी बुनती है
'शोर'शोर नहीं रहता फिर धुन हो जाता है... !!