इंतज़ार...
जिन पलों में जीया जा रहा है तुम्हें...
उसके परे संसार जाने क्या है...
ज़िन्दगी, कौन जाने कब तेरे निशाने क्या है...
हर एक पल डूबता उतराता
एक क्षण आस...
फिर मन उदास...
इंतज़ार के रंगों में निहित अनमनी उजास... !
खिलते मुरझाते मन का, संसार जाने क्या है...
इंतज़ार तो शाश्वत है, आधार जाने क्या है... !!