$ 0 0 बस तस्वीरों में है न...वो बचपन...तस्वीरों में ही बच कर रह गए हैं कितने ही एहसासकितने ही पल...सब रिश्ते नाते बस खूंटियों पर टंगी शय होकर रह जायेंगे..."बीते कल"ने सपने में भी नहीं सोचा होगा ऐसा भी हो सकता है "आने वाला कल"... !"आज"की आँखों से आँख मिलाता हुआ"बीता कल"शर्मशार हो जाता है...आँखों का पानी अब कहींनज़र जो नहीं आता है...शुष्कता है...बेरुखी है...सबके अपने तराने हैं...उसी ओर बढ़ रहे हैंहर जीवन को उसी अंतिम मोड़ पर होना है एक दिन...आश्चर्य! इस बात से फिर भी सब अनजाने हैं... !!