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Channel: अनुशील
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मृत्यु की नीरवता में...

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बस तस्वीरों में है न...
वो बचपन...


तस्वीरों में ही बच कर रह गए हैं कितने ही एहसास
कितने ही पल...


सब रिश्ते नाते
बस खूंटियों पर टंगी शय होकर रह जायेंगे...
"बीते कल"ने सपने में भी नहीं सोचा होगा
ऐसा भी हो सकता है "आने वाला कल"... !


"आज"की आँखों से आँख मिलाता हुआ
"बीता कल"शर्मशार हो जाता है...
आँखों का पानी अब कहीं
नज़र जो नहीं आता है...


शुष्कता है...
बेरुखी है...
सबके अपने तराने हैं...


उसी ओर बढ़ रहे हैं
हर जीवन को उसी अंतिम मोड़ पर होना है एक दिन...
आश्चर्य! इस बात से फिर भी सब अनजाने हैं... !!





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