वो
अपने समय पर आएगी...
और स्नेह से संग ले जाएगी...
ज़िन्दगी की तरह
वो अंतहीन इंतज़ार नहीं करवाएगी...
वो
हर क्षण संग चल रही है
उपस्थित होती हुई भी बस दिखती नहीं है...
वो आकर
बस बढ़ जाती है आगे
नेपथ्य में ही रहती है सदैव
मौत घड़ी भर भी रूकती नहीं है...
कविता सी है...
पता ही नहीं चलता कब घटित हो गयी... !!