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Channel: अनुशील
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उस नीले एकांत में... !!

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कभी तुम देखना समंदर...


समंदर देखती हुई
तुम्हारी आँखों की छवि
हम उकेरेंगे...


लहरों का आना-जाना थाहती
तुम्हारी नज़रों की नमी
लिखेंगे...


एकटक तकते हुए उस छोर का आसमान
तुम हो जाओगे उस नीले रंग में लीन...

वह आसमानी रंग
समंदर के नीलेपन में सिमटता हुआ
तट को खारा कर जायेगा...

शाम के ऐसे धुंधलके में
किनारों का उदास कोई संगीत
उभर आएगा...


फिर...
तट से टकराती लहरों के उस शोर में...
हम मौन की सीपियाँ चुनेंगे...


उस...
नीले एकांत में...
कविता के अर्थ गुनेंगे...


तुम देखते रहना समंदर...
निर्निमेष...
लहरों पर टिकी आँखें...
उन आँखों में यादें अशेष...


बसा हुआ दर्द का देश... !!



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