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Channel: अनुशील
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कि गला था रुंधा हुआ... !!

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कहते कहते रुक गए...
कि गला था रुंधा हुआ...


कौन सा दर्द  ये...
आज यूँ ज़िन्दा हुआ...


चोटें लगती हैं अक्सर...
तो घाव भी भर जाते हैं...


जो  खो गए इस  मौसम में...
वो फूल यादों में मुस्कुराते हैं...


आँखों में
झिलमिल उदासी छाई है...
एक घटा सी
घिर आई है...


जो घिर आई है
तो बरसेगी उदासी...
कोई बड़ा सन्दर्भ नहीं
बात ये ज़रा सी... !!


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