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Channel: अनुशील
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मत दुखी हो रे मन, यही संसार है... !!

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विचित्र है दुनिया...
कितनी ही विडम्बनाएं करतीं हैं आघात...


यहाँ सहजता को
सहजता से नहीं लिया जाता है...
स्वार्थ, झूठ और पतन की परंपरा ऐसी आम है
कि सच्चाई इस दौर में ख़बर है...


कोई किसी की खोई वस्तु उस तक पहुंचा देता है...
तो ये सुर्खियाँ होती हैं...
जबकि ये सामान्य व्यवहार है...
यही होना चाहिए...


इतना पतन हो चुका है
कि...
कोई भी सीधी सच्ची बात पर
लोग सहसा विश्वास नहीं कर पाते हैं...
नेह स्नेह के पीछे भी तर्क तलाशे जाते हैं...


दुनिया कारोबार है...
मत दुखी हो रे मन, यही संसार है... !!



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