$ 0 0 तुम देखना एक समतल भूमि होगीकहीं दूर अवश्य...उबड़-खाबड़ राहों से गुज़र करहम जिस तक पहुंचेंगे... !कहीं होगाएक बित्ता आसमान...जो तुम्हारी मेरी छत परआधा-आधा होगा...हमने बांटे होंगे तब तकअनगिन खुशियाँ और गम...यूँ जीवन की दुर्गम राहों कोनेह के धागों ने साधा होगा... !तुम देखना कविता के आँगन मेंकाँटों के बीच मुस्कुराती कली मिलेगी... कहीं होगी वहीँघास परओस की धवल बूँदें...आंसू और ओस की नमीमहसूस करना कविता मेंआँखें मूँदे...ओस और आंसूघुल कर स्याही मेंसाथ की एक अनूठी परिभाषा रच जायेंगे...पतझड़ साक्षी है, फूलों के मौसम लौट आयेंगे... !!