$ 0 0 एक मौसम ये भी...पत्ते,गिरते हुए,हो गए फूलों से... सहर्ष स्वीकारा मुरझाना,फूलों ने भी... !!भलेकितनी ही हों मुश्किलों,आस गीत न गा सके...जीवनइतना बेबस नहीं कभी... !!उदासी में भी,उजास है,विदाई नहीं मात्र संत्रास है...खिली हुई हों पत्तियां भी...एक मौसम ये भी... !!