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Channel: अनुशील
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इस सागर के पार... !!

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रास्ता, रहस्य, नीला विस्तार...
एक सागर और लहराता है इस सागर के पार...


उस सागर में लहर उठती है
सवेरा होता है...
खिल आती है लाली
तब जब अँधेरा सघन घनेरा होता है...


इस सागर से उस सागर तक
अपने आप में स्वयं सागर समोयी दृष्टि
जब जाती है...
जान लेती है: प्यास थी
और अंतिम छोर पर भी
ज़िन्दगी प्यासी ही रह जाती है...


कि
मीठे जल का सोता
कहीं खो गया है...
जाने
नीली उदासी को पसरे
कितना वक़्त हो गया है...


विस्मित देखते हैं विस्तार
एक सागर और लहराता है इस सागर के पार... !!



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