$ 0 0 रास्ता, रहस्य, नीला विस्तार...एक सागर और लहराता है इस सागर के पार...उस सागर में लहर उठती हैसवेरा होता है...खिल आती है लालीतब जब अँधेरा सघन घनेरा होता है...इस सागर से उस सागर तकअपने आप में स्वयं सागर समोयी दृष्टिजब जाती है...जान लेती है: प्यास थीऔर अंतिम छोर पर भीज़िन्दगी प्यासी ही रह जाती है...किमीठे जल का सोताकहीं खो गया है...जानेनीली उदासी को पसरेकितना वक़्त हो गया है...विस्मित देखते हैं विस्तारएक सागर और लहराता है इस सागर के पार... !!