$ 0 0 कह तो देंदोस्त! तुम्हारी बहुत याद आती है...लिख भेजें पत्रकितनी ही पुरानी विस्मृतियों की स्याही से...पर, कहो तो, गरतुम्हारे हिस्से की चरम व्यस्तता नेअनदेखा कर दिया इन्हें... और इन्होंनेइस बड़ी ही सामान्य सी बात कोदिल पर ले लिया तो...क्या होगा... ?!!जो एक आस है, उसकी आँखों में भी, आंसू ही होगा... !!इसलिए,नहीं कहते हैं...यादों का ताना बानाभले बुनते रहते हैं...सभी लिखे-अनलिखे पत्रहम एक रोज़ वाचेंगे...देखना, ज़िन्दगी देगी, वो भी अवसरहम एक साथ, एक टुकड़े आसमान की ओर, ताकेंगे... !!