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Channel: अनुशील
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एक टुकड़ा आसमान... !!

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कह तो दें
दोस्त! तुम्हारी बहुत याद आती है...


लिख भेजें पत्र
कितनी ही पुरानी विस्मृतियों की स्याही से...


पर, कहो तो, गर
तुम्हारे हिस्से की चरम व्यस्तता ने
अनदेखा कर दिया इन्हें... 


और इन्होंने
इस बड़ी ही सामान्य सी बात को
दिल पर ले लिया तो...


क्या होगा... ?!!


जो एक आस है, उसकी आँखों में भी, आंसू ही होगा... !!


इसलिए,
नहीं कहते हैं...
यादों का ताना बाना
भले बुनते रहते हैं...


सभी लिखे-अनलिखे पत्र
हम एक रोज़ वाचेंगे...
देखना, ज़िन्दगी देगी, वो भी अवसर
हम एक साथ, एक टुकड़े आसमान की ओर, ताकेंगे... !! 



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