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Channel: अनुशील
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...सर्वं देवीमयं जगत् !!

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माँ की सुन्दर प्रतिमा...
करुणामयी आँखें...
विराट स्वरुप... 


सप्तसती पाठ...
पूजा अर्चना...
आरती दीप धूप... 


जिस
भक्ति भाव से
प्राणप्रतिष्ठा...
उसी भाव से विसर्जन... 


आगमन और प्रस्थान की परंपरा
दिव्य अकाट्य अचूक... !!
*** *** ***

अपना शहर याद आता है... जमशेदपुर की पूजा... पूजा छुट्टी के ठीक बाद स्कूल के इम्तहान होते थे... तो ऐसे ही बीतती थी पूजा... अस्त व्यस्त त्रस्त... इम्तहानों से तो अभी भी पीछा नहीं ही छूटा है... हाँ, अपना शहर ज़रूर छूट गया... पर, यादों में... वो एक गुब्बारा... आज भी वैसा ही है... जो लिए लौट रहे थे और फूट गया था घर पहुँचने से पहले ही... !!
कैसी कैसी यादें हैं... विस्मृत न होने वाले कितने ही कोण मन के अनदेखे कोनों में सदैव उपस्थित होते हैं... रीत कर भी नहीं रीतता बीता कल... बीत कर भी नहीं बीतते जिए गए पल... !!
भक्ति भाव का दीप जले... माँ की आराधना मन प्राण पावन करे... !!


सर्वरूपमयी देवी सर्वं देवीमयं जगत् !
अतोऽहं विश्वरूपां त्वां नमामि परमेश्वरीम्  !!




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