$ 0 0 एकछोटी सी चिड़िया थीदूर जाती हुई और छोटी हुई जाती थीइतनी छोटी कि फिरविलीन हो गयी आकाश के विस्तार मेंजैसे हो ही नहीं वो संसार में... !सुख होया हो दुःखउस छोटी सी चिड़ियाँ सा ही तो हैपास होता है तो अपनी चहचहाहट सेअपनी उपस्थिति यूँ भर देता है हमारे भीतरकि उसके प्रभाव में होता है हमारा सम्पूर्ण वज़ूद पर है तो पाखी वाला स्वाभाव नन सुख टिकने हैं न दुःख ही टिकने वाला हैचुग कुछ दाने हमारे धैर्य का इन्हें पंछी सा उड़ जाना है उड़ते हुए विलीन ये आकाश के विस्तार मेंजैसे कभी रहे ही न हों हमारे संसार में... !!