$ 0 0 अँखियों मेंएक ख़्वाब नयासजा कर देखो...मंज़िल भी मिल जाएगीज़रा कदम तो बढ़ा कर देखो!भूलना हो गर...अपने हिय का दर्ददूसरों के गम को अपना कर देखो!अनुभूति में है बसतीइसकी आत्मा...ज़िन्दगी को कभीकिताबी परिभाषाओं से परे हटा कर देखो!रास्ते हैं, सफ़र है, मंजिलें हैंजरा गुनगुना कर देखो...वो भी आ जायेगा पासपहल तुम ही कर लोकदम तो बढ़ा कर देखो! ज़िन्दगी को कभीकिताबी परिभाषाओं से परे हटा कर देखो...!!!