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Channel: अनुशील
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ज़िन्दगी, तुम्हारे लिए!

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कितनी ही
उलझनों से
घिरी हुई हो तुम...
कितनी ही उलझनें
मुझको भी घेरे है...


फिर भी
एक दूसरे के लिए
हम बिलकुल अपने है...
ये आने जाने का किस्सा है
जन्मों के ये फेरे हैं...


तुम्हारे लिये
तुम्हारी खातिर...
सब सह लेने का ज़ज्बा है
सब झेल जाने का हौसला है... 


जिजीविषा 

ज़िन्दगी की खातिर...

सदैव लड़ती है विषमताओं से, 

कौन झुठला पायेगा उसे...? 

जो नियति का अटल फैसला है...!! 


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