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Channel: अनुशील
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साथ ही हैं...!

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कश्तियाँ
जब लग रहीं हों किनारे
तब मझधार को याद कर
नहीं शोक मनाना...


हमें भूल जाना...


ज़िन्दगी जब मुस्कुरा रही हो
गीत सुहाने गा रही हो
साथ गाते जाना...


जीवन का गीत सुहाना...


जब कभी
दुःख की बदरी छाये
तुम्हें कोई नज़र न आये
बस नज़रें झुकाना
वहीँ हमें साथ खड़ा पाना... 


हमें भूल न जाना...


कुछ यूँ रखना
सहेज कर हमें 

जैसे,
आसमान की आँखों में
रहती है धूप...
धरती की नमी का एहसास ही
धरता है सहज स्वरुप...
और बिखर आती हैं किरणें
नमी को सोखने... 


जो नमी है
तो है--
खिली धूप का होना भी...
जीवन पाना है
तो जीवन है खोना भी... 


हँसना... साथ तुम्हारे दुनिया हँसेगी 


कहीं न कोई
गम हो...
कभी न आँख तुम्हारी
नम हो...


किसी मोड़ पर
जो गलती से नम हो जाए...
तुम्हें अनायास
रोने का मन हो जाए...


तो भी--
तुम कभी अकेले मत रोना...
अत्यावश्यक है
थोड़ी सी धूप का साथ तेरे होना...


देखना,
साथ ही होंगे...!


बस यूँ ही
याद दिला रहे हैं
हमारा काम है याद दिलाना...
साथ ही हैं...
देखो, भूल न जाना...!


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