$ 0 0 कश्तियाँजब लग रहीं हों किनारेतब मझधार को याद करनहीं शोक मनाना...हमें भूल जाना...ज़िन्दगी जब मुस्कुरा रही होगीत सुहाने गा रही होसाथ गाते जाना...जीवन का गीत सुहाना...जब कभी दुःख की बदरी छायेतुम्हें कोई नज़र न आयेबस नज़रें झुकानावहीँ हमें साथ खड़ा पाना... हमें भूल न जाना...कुछ यूँ रखना सहेज कर हमें जैसे,आसमान की आँखों मेंरहती है धूप...धरती की नमी का एहसास हीधरता है सहज स्वरुप...और बिखर आती हैं किरणेंनमी को सोखने... जो नमी है तो है--खिली धूप का होना भी...जीवन पाना हैतो जीवन है खोना भी... हँसना... साथ तुम्हारे दुनिया हँसेगी कहीं न कोई गम हो...कभी न आँख तुम्हारी नम हो...किसी मोड़ परजो गलती से नम हो जाए...तुम्हें अनायास रोने का मन हो जाए...तो भी--तुम कभी अकेले मत रोना...अत्यावश्यक हैथोड़ी सी धूप का साथ तेरे होना...देखना,साथ ही होंगे...!बस यूँ हीयाद दिला रहे हैंहमारा काम है याद दिलाना...साथ ही हैं...देखो, भूल न जाना...!